कोविड-19 की दूसरी लहर: रैली में नाचे, फिर श्मशान में कतार में खड़े थे!”

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

भारत में कोरोना वायरस की तीन लहरों में से दूसरी लहर (मार्च-जून 2021) को सबसे ज़्यादा जानलेवा और विनाशकारी माना गया। जब 2021 की शुरुआत में राहत की उम्मीद जगी थी, तभी डेल्टा वेरिएंट ने देश को भयावह तबाही के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया।

800 स्क्वायर फीट में घर का सही प्लान क्या हो सकता है?

तेजी से बढ़ता संक्रमण और स्वास्थ्य व्यवस्था की टूटन

  • दूसरी लहर के दौरान भारत के हर कोने में कोरोना ने कहर बरपाया।

  • बेड, ऑक्सीजन, रेमडेसिविर जैसी जरूरी सुविधाएं खत्म हो गईं।

  • मरीज अस्पताल के बाहर दम तोड़ते नजर आए।

  • लोग WhatsApp और Twitter पर ऑक्सीजन और बेड की भीख मांगते दिखे।

डेल्टा वेरिएंट बना तबाही की जड़

विशेषज्ञों ने माना कि दूसरी लहर में फैला डेल्टा वेरिएंट पिछले वैरिएंट्स से ज्यादा खतरनाक और संक्रामक था।

  • युवाओं को भी ICU में पहुंचा दिया

  • तेजी से फेफड़ों को प्रभावित किया

  • ऑक्सीजन सैचुरेशन गिरते ही हालत बिगड़ने लगी

ऑक्सीजन संकट: वो तस्वीरें जो देश नहीं भूल पाएगा

दिल्ली से बनारस और अहमदाबाद तक, ऑक्सीजन की कमी ने परिवारों को तोड़ दिया।

  • टैंकरों की राह देख रहे अस्पताल

  • गाड़ी में दम तोड़ते मरीज

  • लाइन में लगे लोग, सिलेंडर ढोते बेटे-बेटियां

श्मशान की चिताएं और बहती लाशें

  • श्मशान घाटों में 24 घंटे अंत्येष्टि, लकड़ी की कमी

  • गंगा नदी में शव बहाए गए, जिसने मानवता को झकझोर दिया

  • कई जगह अस्थायी चिता स्थल बनाए गए, जैसे पार्किंग और मैदान

सरकारी तैयारी पर उठे सवाल

  • कई विशेषज्ञों और मीडिया ने चुनावी रैलियों, कुंभ मेले को सुपर-स्प्रेडर बताया

  • सरकारी सिस्टम पर विलंबित प्रतिक्रिया और आपूर्ति चेन फेल होने के आरोप लगे

  • राहत की व्यवस्था करने में देर, जिससे मौतें और बढ़ीं

जनता की एकजुटता: उम्मीद की सबसे बड़ी किरण

जब सिस्टम कमजोर पड़ा, तब जनता ने मोर्चा संभाला:

  • सोशल मीडिया बना हेल्पलाइन

  • गुरुद्वारे, मस्जिदें, मंदिरों ने भोजन और ऑक्सीजन बांटी

  • डॉक्टर, नर्स और NGO ने मानवता की नई मिसाल पेश की

450 स्क्वायर फीट में महल नहीं, मगर समझदारी से बनाया तो कम नहीं!

तीनों लहरों की तुलना:

लहर साल असर
पहली 2020 सतर्कता बढ़ी, कम मृत्यु दर
दूसरी 2021 सबसे ज्यादा मौतें, सिस्टम फेल
तीसरी 2022 ओमिक्रॉन, लक्षण हल्के, अस्पताल कम भर्ती

सीख क्या मिली?

  • विज्ञान को नज़रअंदाज़ करना विनाश का रास्ता है

  • संसाधन और आपूर्ति तैयारी ‘अगर-मगर’ पर नहीं छोड़ी जा सकती

  • जनता की जागरूकता, प्रशासन की तत्परता और स्वास्थ्य प्रणाली की मजबूती किसी भी महामारी से लड़ने की रीढ़ हैं

दूसरी लहर सिर्फ एक स्वास्थ्य संकट नहीं थी, यह नेतृत्व, नीति और नैतिकता की परीक्षा थी। इसने हमें दिखा दिया कि संवेदनशीलता, तैयारी और सहयोग – ये तीन ही हथियार हैं किसी भी अदृश्य दुश्मन से लड़ने के।

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